नई दिल्‍ली। कोरोना की लहर में हर दिन संक्रमण से मरने वालों की संख्‍या बढ़ती ही जा रही है। अस्‍पतालों मे डाक्‍टर अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों का 24 घंटे इलाज कर रहे हैं। इसके साथ ही इस मुश्किल दौर में कई डाक्‍टर ऐसे भी हैं जो इंसानियत की नई मिसाल कायम कर रहे है। ऐसा ही एक वाकया देश की राजधानी दिल्‍ली में आया है जहां अस्‍पताल में भर्ती मरीज की कोरोना के चलते मौत हो गई और रिश्‍तेदारों और पड़ोसियों ने बॉडी अपने साथ ले जाने से इंकार कर दिया जिस कारण महिला का शव घंटों अस्‍पताल में पड़ा रहा। ऐसे में एक डाक्‍टर ने उस अनजान महिला का शव शमशान घाट पर लेजाकर विधि- विधान से अंतिम संस्‍कार करवाया।

ये मामला दिल्‍ली के सरदार वल्लभभाई पटेल कोविड केयर केंद्र का है। जहां एक महिला की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था। कोरोना संक्रमित होने के कारण उसका बेटा भी अस्‍पताल में भर्ती था। परिजनों और आस-पास के लोगों को जब महिला की मौत की खबर दी गई तो उन्‍होंने अंतिम संस्‍कार करवाने से इंकार कर दिया। इस बात का पता जब हिंदुराव हॉस्टिपटल के असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉक्‍टर वरुण को पता चली तो उनका दिल पसीज गया और उन्‍होंने महिला का अंतिम संस्‍कार करने का जिम्‍मेदारी ली।

हिंदूराव अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. वरुण ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर महिला का शव का निगम बोध घाट पर ले गए और उसका अंतिम संस्‍कार करवाया। डाक्‍टर वरुण ने बताया कि उनके एक डाक्‍टर मित्र ने फोन पर बताया था कि 77 वर्षीय निर्मला चन्दोला नाम की महिला का कोविड 19 संक्रमण के चलते अस्पताल में निधन हो गया है।

मलिला का एक बेटा था वो भी अस्‍पताल में भर्ती था और महिला के रिश्‍तेदारों और आस-पास रहने वाले लोगों ने मना कर दिया कि वो लाश का अंतिम संस्‍कार नहीं करवाएंगे जिसके बाद मैंने अपने दोस्‍तों की सहायता से से निर्मला के शव को निगम बोध घाट पर स्वयं विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार करा गया। अस्थियो के लिए लॉकर की व्यवस्था करवाई गई जिससे मृतक महिला निर्मला का बेटा ठीक होने के बाद उनकी अस्थियां गंगा नदी में विधि-विधान से प्रवाहित करवा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *