भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना संकट के संदर्भ में औद्योगिक गतिविधियों को बल देने के लिए राज्य सरकार प्रत्‍येक आवश्यक कदम उठाएगी। मध्यप्रदेश में नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सभी श्रेणियों के उद्योगों को आवश्यक रियायतें दी जाएंगी। राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन की पहल भी इसी उद्देश्य से की है। मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे थे। इस चर्चा में अनेक औद्योगिक संगठनों ने मध्यप्रदेश सरकार की श्रम कानून बदलने की पहल को क्रांतिकारी बताते हुए इसे अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बताया।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि विश्वव्यापी कोरोना के संकट के कारण सिर्फ शरीर को कष्ट नहीं हुआ है, बल्कि कोरोना ने अर्थव्यवस्था को भी बहुत प्रभावित किया है। इस संकट को अवसर में बदलने के लिए इस सप्ताह निरंतर की गई एक्सरसाइज के फलस्वरूप कुछ श्रम कानून बदले गए हैं। जिनकी स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त करना है, वे प्रक्रिया में हैं। इन सभी प्रयासों से कारखानों के प्रबंधन जो सुविधाएं प्राप्त करेंगे उनसे अर्थव्यवस्था में सुधार का कार्य संभव होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि औद्योगिक संगठन के पदाधिकारियों के सुझावों पर राज्य सरकार आवश्यक कदम उठाएगी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि जान भी है और जहान भी है। मध्यप्रदेश में अगले एक हजार दिन तक बहुत से श्रम कानून शिथिल किए जाएंगे। प्रमुख रूप से कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधानों को शिथिल किया जाएगा। कारखानों में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन का प्रावधान रहेगा। रजिस्टर से मुक्ति और कारखानों में शिफ्ट में संशोधन का अधिकार कारखानों को होगा।

चौहान ने उद्योगपतियों से कहा कि अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आए, इसके प्रयास सभी को मिलजुलकर करने हैं। हम पार्टनर हैं, साथी हैं, इस नाते निर्माण क्षेत्र, रियल स्टेट, व्यापार, वाणिज्य सभी का विकास हो, यह व्यवस्था करनी है।

किसने क्या कहा

दिनेश पाटीदार (फिक्की) : आप निवेश के लिए लेबर लॉ में जो बदलाव कर रहे हैं, वह सराहनीय हैं। हम सहयोग करेंगे। निश्चित ही राज्य में नया निवेश आएगा। प्रदेश में बिना भीड़ के गेहूं खरीदने का कार्य अच्छा हो रहा है।

अनुराग श्रीवास्तव (सीआईआई) : आप अच्छा कार्य कर रहे हैं। सिचुएशन तो टफ है। नए उद्योगों के लिए रियायत देने की आपकी कोशिश स्वागत योग्य है। कॉनफेडेरेशन आफ इंडियन इण्डस्ट्री द्वारा कुछ सुझाव आपको पत्र द्वारा अवश्य देंगे।

महेश गुप्ता और अरुण सोनी (लघु उद्योग भारती) : ऐसे उद्योग जो निरंतर चलते हैं, उनकी अलग समस्या हैं। कुछ शुल्क घटाए जाएं जिससे राहत मिलेगी।

वासिक हुसैन (CREDAI) : वैसे भी रियल स्टेट बुरे दौर से गुजर रहा था। मांग काफी कमजोर है। यदि तीन-चार माह स्टाम्प ड्यूटी में छूट मिल जाएं तो लोगों को आकर्षित किया जा सकेगा। डायवर्शन और भूभाटक शुल्क में भी सहायता की जरूरत है।

कुणाल ज्ञानी (पीएचडी चेम्बर आफ कॉमर्स एंड इण्डस्ट्री) : लीज रेंट, मेंटेनेंस, डेफर कर दें इस साल। भारत सरकार के श्रम मंत्रालय से ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा योजना) से जुड़े वेजेस के भुगतान मिल जाए तो राहत हो जाएगी।

अखिलेश राठी और श्रेयस्कर चौधरी (मध्यप्रदेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन) : कृषि के बाद टेक्सटाइल्स एक बड़ा उद्योग है। हम 12 घण्टे की शिफ्ट लागू कर रहे हैं। हम श्रमिकों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। एक अनुरोध यह है कि इस वर्ष महंगाई भत्ता आदि न बढ़ाया जाए।

परेश चावला (इंडियन ड्रग मेन्यूफेक्चरर्स) : करीब 25 प्रतिशत कम प्रोडक्शन हुआ है। समस्याएं तो हैं। एक नीति तय हो कि फैक्ट्री में यदि कोरोना प्रभावित वर्कर है तो उसके विरूद्ध कार्रवाई न की जाए।

हृदेश किरार (दलित इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स) : एक स्पेशल पैकेज दिया जाए, मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में सभी जिलों में लाभ दिया जाए।

अविनाश सेठी और गौरव हाजरा (नेसकॉम)  : आय.टी. कंपनियाँ अच्छा रोजगार देती हैं। आज भी ये बढ़ती हुई इण्डस्ट्री है। रिकवर होने में समय तो लगेगा। पूरे प्रदेश में आय.टी. पार्क हैं। फिक्स चार्जेस नहीं लगेंगे। यह अच्छा निर्णय है। रेंटल सब्सिडी एक वर्ष बढ़ाई जाना चाहिए। रात्रि शिफ्ट की अनुमति प्रदान की जाए।

गौरव तनेजा (प्रमुख उद्योगपति) : वैश्विक परिदृश्य की बात करे तो आज जापान, कोरिया और अमेरिका, चाइना को पीछे छोड़ना चाहते हैं। भारत को भी इस अवसर का लाभ लेना चाहिए। अधोसंरचना क्षेत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इलेक्ट्रानिक मेन्यूफेक्चरिंग और नेनो टेक्नोलॉजी पूरे संसार में प्रभावित हुई है। अब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत कुछ प्रक्रियाएं सरल बनें। मध्यप्रदेश सरकार कुछ उद्योगों को एक -डेढ़ साल रियायतें प्रदान कर अन्य राज्यों को दिशा दे सकती है।

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