भोपाल। मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज कहा कि कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट के बावजूद राज्य सरकार के बजट में सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखकर नए कराधान का प्रावधान नहीं किया गया है। देवड़ा ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2021 22 के लिए दो लाख 41 हजार करोड़ रुपयों के प्रावधान वाले वार्षिक बजट को पेश करने के बाद विधानसभा भवन के सभागार में संवाददाताओं से चर्चा में यह बात कही। इस दौरान वित्त विभाग की ओर से पेश किए गए प्रस्तुतिकरण के जरिए बजट प्रावधानों के बारे में भी बताया गया। देवड़ा ने कहा कि कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट से सिर्फ हमारा राज्य ही नहीं, पूरा देश प्रभावित हुआ है और इस वजह से राजस्व प्राप्तियां तथा आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुयी हैं।
इसके बावजूद आत्मनिर्भर भारत और इसी से प्रेरित आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से बजट में प्रावधान किए गए हैं। इसमें जहां सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया है, वहीं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए ढांचागत सुविधाओं के विकास तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुशासन पर ध्यान देते हुए उनके लिए बजट प्रावधान किए गए हैं। बजट में 50 प्रतिशत से अधिक धनराशि तनख्वाह, पेंशन और इसी तरह के खर्च पर होने संबंधी सवालों के जवाब में वित्त मंत्री के साथ मौजूद वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह बात सच है, लेकिन जब हम शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय करते हैं तो चिकित्सकों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों के साथ ही शिक्षकों आदि की तनख्वाह पर भी व्यय करना पड़ेंगे। यह हमारे राज्य में ही नहीं, देश और विदेशों में भी होता है।
इसलिए इस व्यय को व्यर्थ नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि विकासात्मक कार्यों में तनख्वाह प्रमुख खर्च है। वित्त मंत्री की ओर से इस सवाल का जवाब तत्काल नहीं मिल पाया कि मध्यप्रदेश सरकार को पिछले एक दो वर्षों के दौरान केंद्र सरकार से कितनी धनराशि प्राप्त होना थी और कितनी राशि प्राप्त हुयी। अलबत्ता उनके साथ मौजूद अधिकारी ने यह बताया कि कोरोना संकट के कारण उपजी स्थितियों के चलते हाल ही में ‘जीएसटी कौंसिल’ की बैठक में तय किया गया था कि राज्य सरकार वित्तीय संस्थाओं से स्वयं ऋण राशि लें और उन्हें चुकाने की व्यवस्था करें।