भोपाल। देश भर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच मध्यप्रदेश का अर्थतंत्र पटरी पर लौटने लगा है। प्रदेश में एक महीने के भीतर बेरोजगारी दर 76 फीसदी कम हुई है। यह दावा उस संस्था ने किया है तो देश की इकॉनोमी को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में सर्वे कर डाटा एकत्रित करती है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) देश भर में बेरोजगारी का आंकड़ा हर दिन एकत्रित करने का दावा करती है। यह संस्था जनवरी 2016 से बेरोजगारी को लेकर आंकड़े अपनी वेबसाइट पर बता रही है।
इस संस्था की वेबसाइट की मानी तो कोरोना काल में लोगों की नौकरियां तेजी से जाने लगी। इसके चलते प्रदेश में अप्रैल में बेरोजगारी की दर मार्च की तुलना में 10 प्रतिशत एक दम से उछली और प्रदेश में 12.4 फीसदी बेरोजगारी की दर हो गई। इसे बाद मई में नौकरियां जाने में और तेज उछाल आया। इस महीने प्रदेश में 27.5 प्रतिशत बेरोजगारी की दर हो गई थी। इसके बाद जून में इस पर नियंत्रण किया और यह दर गिर कर 8.2 प्रतिशत पर आ गई। जुलाई में फिर से यह दर देरी से गिरी और 3.6 फीसदी पर आ गई। यानी मई से प्रदेश में 76.4 प्रतिशत बेरोजगारी दर कम हो गई।
यह आंकड़ा सामान्य तक पहुंच चुका है। प्रदेश में 3.6 के आसपास हर हमेशा की बेरोजगारी की दर रही है। इस आंकड़े से यह माना जा रहा है कि प्रदेश कोरोना काल में बेरोजगारी की समस्या से उभर चुका है। हालांकि इसके पीछे बड़ा कारण अनलॉक होते ही फिर से काम शुरू होने का भी है। लॉकडाउन कारखाने दुकानें आदि बंद होने से बड़ी संख्या में रोजगार गए थे अब लोग पुन: काम पर लौट आए हैं।
सीएमआईई के अनुसार प्रदेश में जनवरी- 4.1 प्रतिशत, फरवरी – 4.6, मार्च – 2.2, अप्रैल- 12.4, मई- 27.5, जून- 8.2 और जुलाई 3.6 प्रतिशत बेरोजगारी की दर रही।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण के दौर में चरमराई वित्तीय अर्थव्यवस्था को लेकर मंत्रियों से कहा कि मैं ऐसा मुख्यमंत्री नहीं हो सकता कि मैं रोऊं कि मेरे पास पैसे नहीं हैं। पैसे नहीं हैं, तो लाएंगे। इसके लिए व्यवस्था करेंगे। हम हार मानने वालों में से नहीं हैं। वर्चुअल कैबिनेट में सीएम चौहान ने कहा कि वित्तीय प्रबंधन के लिए कमेटी बनाई है। रेवेन्यू कलेक्शन पर जोर देंगे। आर्थिक दिक्कत है लेकिन उसके कारण बैठ जाएं, यह नहीं कर सकते। पैसे की व्यवस्था के लिए सभी को सोचना है। मैं भी सोच रहा हूं और हर तरह से वित्तीय व्यवस्था करने में सफल होंगे।