भोपाल। प्रदेश की कांग्रेस सरकार केंद्र की मोदी सरकार से बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए शिवराज सरकार की तर्ज पर काम कर रही है। कमलनाथ सरकार ने हाल ही में पेजयल आपूर्ति को लेकर एक फैसला लिया है, जो शिवराज सरकार की तर्ज पर लिया गया है। क्योंकि मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते लक्ष्य निर्धारित किया था कि 2024 तक देश के सभी गांवों में जल योजनाओं से पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। हालांकि केंद्र ने अभी इसके लिए कोई योजना नहीं बनाई है, लेकिन मप्र सरकार ने योजना पर काम शुरू करा दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीएचई की बैठक में जल्द ही योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में राज्यों में मप्र ही ऐसा राज्य था, जो सबसे पहले केंद्र की योजना के अनुसार काम करता था। शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार के फैसलों के अनुरूप प्रदेश में सबसे पहले कई योजनाओं पर काम शुरू किया था। इसके पीछे मप्र सरकार की रणनीति केंद्र को खुश करने की रही थी। कमलनाथ सरकार भी इसी दिशा में काम कर रही है। मोदी सरकार ने देश के 16 करोड़ ग्रामीण परिवारों को अगले पांच साल के भीतर जल योजनाओं से पानी देने का लक्ष्य तय किया है। बेशक मोदी सरकार ने इसके लिए किसी तरह की योजना तैयार नहीं की है। इससे पहले मप्र सरकार इस योजना पर काम कर रही है। राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही मप्र सरकार की ओर से केंद्र को एक प्रिजेंटेशन दिया जाएगा। जो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में जलआपूर्ति से जुड़ी है। संभवत: मप्र ऐसा करने वाला पहला राज्य होगा, जो सबसे पहले पेयजल योजना बनाने जा रहा है।

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल समस्या के स्थायी समाधान की योजनाएं बनाने और उन्हें समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) एंव प्रदेश जल निगम संचालक मंडल की बैठक में जल निगम को मंदसौर, नीमच एवं छिंदवाड़ा जिले में नई परियोजना इकाई स्थापना को मंजूरी दी गई। नाथ ने कहा कि पेयजल जैसी अनिवार्य जरूरतों का स्थायी समाधान न होना गंभीर बात है। मनुष्य की बुनियादी जरूरतों में से एक पानी भी है और हमारी यह जवाबदेही है कि लोगों को जरूरत के मुताबिक उपलब्ध करवायें।

मप्र सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार को ‘राइट टू वाटरÓ का प्रस्ताव सौंपा है। यह शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, फूड राइटस की तर्ज पर तैयार किया गया है। पिछले दिनों पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों की कमेटी के सामने यह प्रस्ताव दिया था। यह राइट टू वाटर एक्ट लागू होता है तो देश के नागरिकों को शुद्ध पानी का अधिकार मिल जाएगा।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर करने पर विचार किया गया था। इसके तत्काल बार शिवराज कैबिनेट ने इस पर मंथन किया। हालाँकि इस पर फैसला नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री फसल बीमा को लागू करने वाला मप्र पहला राज्य था। केंद्रीय खनन नीति में संशोधन किया गया, जिसे मप्र की शिवराज सरकार ने सबसे पहले लागू करने का श्रेय लेने की कोशिश की थी। इसी तरह जनधन योजना के खाते खुलवाने एवं डिजिटल भुगतान में पहला नंबर पाने का दावा भी शिवराज सरकार ने किया था।

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