केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण एक्ट की धारा 18-ए में किए गए संशोधन की वैधानिकता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर तय की है.
बता दें, केन्द्र सरकार द्वारा किए जा रहे इस संशोधन के बाद एससी एसटी की ओर से किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज होने पर बगैर जांच के गिरफ्तारी कर ली जाएगी. इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने अरेस्ट स्टे के प्रावधान को भी संशोधन के जरिए समाप्त करने का फैसला किया है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव ने बताया कि याचिका में एससी/एसटी अत्याचार निवारण एक्ट की धारा 18 ए में किए गए संशोधन को मौलिक अधिकारों का हनन बनाते हुए संशोधन को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन भी बताया गया है, जिसमें उन्होंने निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में जांच डिप्टी एसपी रैंक के अफसरों द्वारा होनी चाहिए और एसएसपी के आदेश के बाद ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए. साथ ही कहा गया था कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी है, तो बिना विभागाध्यक्ष की अनुमति के आप गिरफ्तार नहीं कर सकते.
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि इस मामले की सुनवाई पहले से ही सुप्रीम कोर्ट कर रही है. लिहाजा हाईकोर्ट ने इस मामले को विचाराधीन रखते हुए 19 सितम्बर को मामले की सुनवाई की अगली तिथि नियत की है. याचिकाकर्ता सुनीता शर्मा और लॉ स्टूडेन्ट दीप्ती वर्मा की ओर से याचिका दाखिल की गई है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ कर रही है.