भोपाल। राज्य सरकार ने गुजरात से एशियाटिक लॉयन (सिंह) मिलने की उम्मीद छोड़ दी है, इसलिए अब श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण्य में बाघ बसाए जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में वन अफसरों को इसकी तैयारी के निर्देश दिए हैं। बोर्ड की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में हुई, जिसमें बगैर चर्चा सभी प्रस्ताव पारित कर दिए गए।
सूत्र बताते हैं कि करीब 40 मिनट चली बोर्ड की बैठक में तय प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई। कुनो अभयारण्य का क्षेत्र बढ़ाने और इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने का प्रस्ताव आया तो मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि वहां बाघों को बसाने की तैयारी करें। बोर्ड के सदस्य और विभाग के अफसरों ने भी सहमति दे दी।
अब विभाग दूसरे क्षेत्रों से रेस्क्यू किए जाने वाले या भेजे जाने वाले बाघों को यहां बसाएगा। बोर्ड की बैठक इससे पहले 10 जुलाई को हुई थी। उल्लेखनीय है कि गुजरात के गिर अभयारण्य के सिंहों को महामारी जैसे खतरे से बचाने केंद्र सरकार ने वर्ष 1991 में उन्हें राज्य से बाहर बसाने का फैसला किया था।
वन्यप्राणी संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों को श्योपुर के कुनो में सिंहों के लिए अनुकूल वातावरण मिला तो यहां अभयारण्य बनाया गया। वर्ष 2003 से अभयारण्य तैयार है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से जीत भी गई है, लेकिन राजनीतिक कारणों से सिंहों की श्ािफ्टिंग लगातार टल रही है। जबकि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में बनी एक्सपर्ट कमेटी और गुजरात सरकार की सभी शर्तें भी पूरी कर चुकी है।
नेशनल हाइवे के बायपास को मंजूरी
बोर्ड ने ग्वालियर के घाटीगांव अभयारण्य से नेशनल हाईवे क्रमांक-3 के बायपास, निरावली-मोहना से डूडापुरी सड़क के उन्न्यन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ऐसे ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई जा रही गगनवाड़ा से करतौली सड़क का कुछ हिस्सा सिंघोरी अभयारण्य और बिनेका से बोरपानी तक बनाई जा रही साढ़े आठ किमी सड़क का हिस्सा रातापानी अभयारण्य से निकल रहा है। इन प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी गई है।
सरकार के खिलाफ करेंगे कानूनी कार्रवाई
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बाधा खड़ी कर रही है, इसलिए सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने बताया कि कुनो में सिंहों को बसाने में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। 14 नवंबर को कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस दिए हैं। ऐसे में राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने अभयारण्य में बाघों को बसाने की अनुशंसा कर कोर्ट की अवमानना की है। 15 दिसंबर को राज्य सरकार पर कार्रवाई की मांग करेंगे।