भोपाल। कोरोनावायरस ने भले ही आम नागरिकों की रफ्तार रोक दी हो परंतु मध्य प्रदेश की राजनीति में चकरी बहुत तेज चल रही है। कभी पार्टी की विचारधारा व्यक्तिगत रिश्ते पर पर तो कभी व्यक्तिगत रिश्ते पार्टियों की विचारधारा पर भारी पड़ते हैं। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नागपुर प्रवास के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मुलाकात की।
देश भर की राजनीति में ग्वालियर का गदर (भारतीय जनता पार्टी का 3 दिवसीय सदस्यता महाकुंभ) काफी सुर्खियों में है। कोरोना प्रोटोकॉल की बात नहीं करेंगे क्योंकि मामला हाईकोर्ट में है, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा होने के बावजूद एक के बाद एक लगातार तीन दिन तक हजारों लोग आसपास के जिलों से ग्वालियर आए और कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। कहा जा रहा है कि 50,000 से ज्यादा लोग 3 दिनों में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद यह सबसे बड़ा पॉलिटिकल जलसा था और निर्विवाद रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद, शिवराज सिंह चौहान से बड़ा दिखाई दिया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का एक-एक मिनट मुख्य महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए तो जनता भारी भरकम टैक्स अदा करके मुख्यमंत्री को 60 करोड़ का प्राइवेट विमान, लग्जरी सुविधाएं, हाई लेवल सिक्योरिटी, बड़ा बंगला और ढेर सारे अधिकारी कर्मचारी प्रदान करती है। कमलनाथ तो अपने आप में बड़ा ब्रांड है। जब वह केवल छिंदवाड़ा के सांसद थे तभी उनके पास लोगों से मिलने के लिए वक्त नहीं होता था। अब तो उपचुनाव का बिगुल बज चुका है और कमलनाथ के लिए तो यह उनके अस्तित्व का चुनाव है। आज ना तो किसी का जन्मदिन था और ना ही कोई ऐसा त्यौहार। प्रश्न का जन्म होना स्वाभाविक है कि ऐसा क्या हुआ जो दोनों दिग्गज एक दूसरे से मिलने के लिए बेकरार हो उठे।