भोपाल। विद्यार्थियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग इस साल एक लाख विद्यार्थियों की काउंसलिंग कराएगा। ये जिम्मेदारी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) को सौंपी गई है जो हर साल काउंसलिंग की व्यवस्था करेगा और इसमें ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को जोड़ेगा। इस संबंध में राज्य शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसी घटनाएं रोकने के लिए जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति बनेंगी। जिनकी नियमित बैठकों में आने वाले सुझावों पर अमल किया जाएगा।
ये सिफारिश विद्यार्थियों की आत्महत्या रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस की अध्यक्षता में गठित विधानसभा समिति ने की थी। समिति ने विधानसभा के बजट सत्र में अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की थी। समिति ने अपने अध्ययन में पाया था कि छात्र परीक्षा व मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या करते हैं। समिति की सिफारिशों के आधार पर आयुक्त लोक शिक्षण नीरज दुबे ने कलेक्टरों को छात्रों में इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रयास करने और समिति की सिफारिशों का पालन कराने को कहा है। काउंसलिंग में ऐसे विद्यार्थियों को रखा जाएगा, जो अवसादग्रस्त हों। इसकी जिम्मेदारी हाईस्कूल और हायर सेकंडरी प्राचार्यों की होगी।
शिक्षक बनेंगे अभिभावक: स्कूलों में क्लास टीचर से इतर (अलग) शिक्षक को बच्चों का अभिभावक बनाया जाएगा, जो इन बच्चों से पढ़ाई-लखाई और परेशानी से संबंधित बातें करेगा। वह परिजनों से भी मिलेगा और छात्र के व्यवहार में परिवर्तन दिखने पर काउंसलिंग कराएगा। जरूरत पर मनोवैज्ञानिक को भी दिखाएगा।