देहरादून ! कांग्रेस में यूं तो हमेशा से ही अंदरूनी जंग चरम पर चलती रहती है, जिसके चलते पार्टी कई गुटों में बंट जाती है, लेकिन इस बार बगावत की आग निगम और पंचायत चुनावों में टिकटों के बंटवारे को लेकर भड़की है, जिसके बाद अंसतोष कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को भारी नुकसान पंहुचाने का मन बना लिया है, हालांकि पहले बागियों को मनाने के प्रयास कर डैमेज कंट्रोल में जुटे तमाम नेताओं द्वारा कई प्रयास किए गए, जब वे नहीं माने तो उन्हें अनुशासनहीनता की कार्यवाही और पार्टी से बाहर निकाले जाने का भय दिखाने की कोशिशें अब की जा रही है, लेकिन कांग्रेस का यह प्रयास भी सफल होता नहीं दिख रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के बागियों द्वारा मेयर और नगर पंचायत अध्यक्षों के लिए हुए टिकट बंटवारे में टिकट न मिलने के बाद पार्टी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना इस बात को पुख्ता करते हैं कि कांग्रेस में बगावत की आग भड़क चुकी है, वहीं इन बागियों में से कुछ ने पार्टी के नेताओं के समझाने के बाद अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया और वह चुनाव मैदान से हट गए, लेकिन पार्टी द्वारा टिकट न दिए जाने का मलाल अभी भी उनके जहन में है। इन बागियों में से बहुत सारे कद्दावर नेता ऐसे भी है जिन्हें सत्ता में बैठे लोगों ने यह आश्वासन दिया है कि यह चुनाव निपटने के बाद उन्हें पार्टी उचित सम्मान देगी।उन्होंने भले ही स्वयं को बागियों की कतार से बाहर कर लिया हो लेकिन इनमें से अधिकांश नेता और कार्यकर्ता इस चुनाव में पार्टी के लिए काम करने वाले नहीं है। कई लोगों ने यह बात स्वीकार की है कि कई लोग सिर्फ दिखावे के लिए पार्टी के साथ होंगे।