ग्वालियर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कमजोर होते ही मध्यप्रदेश में सक्रिय हुईं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वो मध्य प्रदेश की राजनीति से न कभी दूर हुईं थी, और ना कभी दूर होंगी। भाजपा का शीर्ष नेतत्व जो जिम्मेदारी देगा उसे वो निभाएंगी। बता दें कि इससे पहले उमा भारती ने पार्टी की इच्छा के बावजूद लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। तभी से यह माना जा रहा था कि उमा भारती मध्यप्रदेश में वापसी की योजना कर रहीं हैं।
उमा भारती ने कमलनाथ सरकार पर कहा कि यह (कांग्रेस) सरकार धोखे से बन गई है और अब जनता खुद को छला हुआ महसूस कर रही है, लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपनी ही मौत मरेगी, इसकी हत्या का हम पाप नहीं लेंगे, क्योंकि कांग्रेस की सरकार को कांग्रेस के लोग ही मारेंगे। साथ ही उमा भारती ने कहा कि हमने अटल जी से सीखा है और हम सत्ता के लोभी नही है, लेकिन कांग्रेस के लोग ही अपनी सरकार गिराएंगे। कुल मिलकर उमा भारती ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब मध्यप्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय हो गईं हैं।
उमा भारती ग्वालियर में अपनी करीबी रिश्तेदार के बेटे से मिलने के लिए ग्वालियर की सिंधिया स्कूल पहुंची थीं, यहां वे लगभग एक घंटे से ज्यादा रही है। उमा भारती बीते कुछ वर्षो में इतनी सक्रिय कभी नजर नहीं आईं, जितनी कि इस बार नजर आ रही हैं। बीते तीन दिनों से वह भोपाल में हैं और उनकी नेताओं से मुलाकात का दौर जारी है। साथ ही वह पार्टी के उन नेताओं के साथ खड़ी होती नजर आ रही हैं, जो किसी न किसी तौर पर मुश्किल में हैं।
साध्वी उमा भारती ने कहा कि जब मैं राजनीति में आई तो मैंने देखा कि अटल जी को कार्यकर्ताओं के निर्माण में कोई कमी नजर आती थी तो वह बहुत ही विनम्रता से कार्यकर्ताओं को बता कर उनके दोष दूर करने को कहते थे तो कार्यकर्ता उनकी बात को बहुत ही सहज तरीके से अपना लेते थे। मैंने एक ऐसा समय भी देखा है जब अटल जी विपक्ष की राजनीति में बड़ी अहम भूमिका निभाते थे। जब सरकार राष्ट्र में कोई निर्णय लेती थी तो वह पूरी तरह से राष्ट्र हित में सरकार का समर्थन करते थे। वह हमेशा कहते थे कि राष्ट्र हित से बड़ी और कोई बात नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, उस वक्त पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के लिए यूएन में एक प्रस्ताव रखा था। नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में कोई ऐसा उपयुक्त मंत्री नहीं था जो पाकिस्तान के प्रस्ताव का विरोध व्यवस्थित तरीके से कर सके। नरसिम्हा राव ने किसी मंत्री को ना भेजते हुए नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था, पाकिस्तान भी अचंभित रह गया कि नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी इस प्रस्ताव का विरोध करने आ रहे हैं, ऐसे थे अटल बिहारी वाजपेयी। कोई अच्छी बात होती थी तो वह जनता के साथ खड़े हो जाते थे।
उन्होंने कहा कि मुझे याद है उस वक्त जम्मू कश्मीर जाने के लिए परमिट लगता था तो अपने देश में ही जाने के लिए परमिट व्यवस्था का विरोध डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया और कहा एक देश में दो निशान, दो प्रधान, नहीं चलेंगे। जब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर जा रहे थे तो उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी जी थे। डॉ. मुखर्जी जी ने अटल जी से कहा था आप वापस लौट जाओ और देश को बता दो मैं बिना परमिट के जम्मू कश्मीर में दाखिल हो गया हूं और अटल जी उनकी बात मान कर वापस लौट आए। दो महान व्यक्ति संघर्ष करते हुए इस दुनिया से चले गए और उनके बताए हुए मार्ग पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं श्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा कर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
राजनीत का नशा इंसान को जीते जी नहीं छूटता है। उमा भारती भी इससे अछूती नहीं हैं। उमा भारती अब अपनी लॉबी तैयार कर रही है।