मेरठ…. केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के महानिदेशक राजीव राय भटनागर का कहना है कि कश्मीर में पत्थरबाजों और हिंसा फैलाने वाली भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों को अब खास तरह की गोली मिलेगी। इस गोली को आर्डिनेंस फैक्ट्री से खास डिजाइन कराया गया है। यह गोली पैलेटगन की सब्टीट्यूट होगी। इसमें खास किस्म के प्लाटिक के छर्रे (दाने) होंगे। एके 47 से भी इनको चलाया जा सकेगा।
भटनागर शनिवार को मेरठ में सीआरपीएफ की 108वीं बटालियन के सिल्वर जुबली समारोह में शिरकत करने आए थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि अभी तक हिंसक भीड़ और पत्थरबाजों को काबू करने के लिए जिस गोली का इस्तेमाल किया जाता था, उसके छर्रे लेड के होते थे। मनुष्य के शरीर के कुछ अंगों को वह भारी नुकसान पहुंचाते थे। अब आर्डिनेंट फैक्ट्री से खास डिजाइन की गई प्लस्टिक की गोली का इस्लेमाल पत्थरबाजों को काबू करने के लिए जल्द अमल में लाया जाना हैं।
इन खास दानों (छर्रों) को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इनके लिए अलग से वैपन देने की जवानों को जरूरत नहीं होगी, बल्कि उनके पास जो वैपन होंगे उसमें ही इसका इस्तेमाल किया जा सकेगी। एके 47 में भी इन खास गोलियों को चलाया जा सकेगा। डीजी का कहा है कि कश्मीर में एक खेप इस खास गोलियों की भेज दी गई हैं। उनका इस्तेमाल भी शुरू किया जा रहा हैं। गोलियों की बाकी खेप भी कश्मीर जल्द भेजी जाएगी। सुरक्षा बलों को किसी भी तरह के वैपन की कमी नहीं आने दी जाएगी। हिंसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
दरअसल, कश्मीर में पैलेटगन के इस्लेमाल को लेकर काफी विरोध हुआ था। कहा गया था कि कश्मीर के लोगों को इससे बड़ा नुकसान हो रहा हैं। आंख तक पैलेटगन के छर्रे लगने से खराब हो रही हैं। पैलेटगन के इस्तेमाल पर रोक की मांग को देखते हुए सरकार ने ऐलान किया था कि जल्द ही उसकी विकल्प तलाशेंगे। हालांकि सुरक्षा बल और पुलिस अक्सर भीड़ को काबू करने के लिए रबर की बुलेट का इस्लेमाल करते भी रहे हैं। बुलेट एक पीस की होती है, लेकिन इस बार पैलेटगन में चलने वाली गोली में मौजूद लैड के छर्रों की जगह प्लास्टिक के छर्रे भरे गए हैं। बताया जा रहा है कि ये छर्रे हिंसक लोगों के शरीर पर लगने से बेचैन कर देंगे तथा इससे काबू करने आसानी होगी, लेकिन शरीर के किसी भी हिस्से को क्षतिग्रस्त नहीं करेंगे।