भोपाल ! शिवराज सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आज वित्तमंत्री जयंत मलैया ने पेश किया। एक लाख 17 हजार से अधिक करोड़ के इस बजट में हालांकि कोई नया कर नहीं लगाया गया है, लेकिन महंगाई से जूझ रही आम जनता को बड़ी राहत नहीं दी गई है। अलबत्ता कुछ चीजों पर करों को कम कर बजट को लोकलुभावन दर्शाने की कोशिश की गई है। कृषि, किसानों, स्वास्थ्य और शिक्षा पर इस बजट में विशेष प्रावधान किये गए हैं। वित्तमंत्री श्री मलैया ने बजट पेश करते हुए कहा, कि पिछले एक दशक के दौरान सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में हुई तेज प्रगति से प्रदेश अब विकासशील राज्यों की अग्रिम पंक्ति में पहुंच गया है। उन्होंने कहा, कि दसवीं पंचवर्षीय योजना में राज्य में सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर 6.57 प्रतिशत थी जो बढ़कर ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 9.94 फीसदी हो गयी। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में औसत वृद्धि दर दो अंकों में बनाए रखने का हमारा लक्ष्य था और वर्ष 2013..14 में अग्रमि अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 11.08 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। यह राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में दोगुनी से अधिक है। श्री मलैया ने दावा किया, कि सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन के कारण ही पिछले आठ वर्षों से प्रदेश राजकोषीय घाटे राजस्व घाटे को काबू में रखा गया है। अच्छी राजस्व वसूली के कारण ऋणों पर सरकार की निर्भरता कम हुई है। कर्ज पर अब ब्याज का भार 6.7 प्रतिशत रह गया जो वर्ष 2003-04 में कांग्रेस शासन के समय 22.44 प्रतिशत था
वित्त मंत्री श्री मलैया ने कहा कि सरकार ने अगले पांच सालों के लिए दृृष्टिपत्र-2018 जनता के समक्ष पेश किया है। इस दृष्टि पत्र के माध्यम से राज्य के विकास की गति को पंख लगेंगे। इसमें सरकार ने कृषि, सिंचाई शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य, अद्योसंरचना विकास और महिला सशक्तिकरण कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया है।
अद्भुत बजट, महंगाई कम करने में मिलेगी मदद
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बजट को अद्भुत बताते हुए कहा, कि यह बजट बेहतर आर्थिक प्रबंधन का उदाहरण है और इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बजट पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, कि यह बजट जहां किसानों को राहत देने वाला है, वहीं इससे महंगाई कम करने की दिशा में भी मदद मिलेगी। श्री चौहान ने कहा, कि बजट में करों के बोझ को कम किया गया है और किसानों को राहत देते हुए कृषि उपकरण जैसी कई वस्तुओं पर कर को घटाया गया है, जिससे वस्तुएं सस्ती होंगी। उन्होंने कहा, कि बजट में कृषि बजट अलग से प्रस्तुत किया गया है जिसमें कृषि क्षेत्र के लिए 19 प्रतिशत से ज्यादा बजट प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, कि प्रदेश के विकास का जो दृष्टि पत्र 2018 तक के लिए तैयार किया गया है उस दिशा में हम तेजी से बढ़ेंगे। प्रदेश जिससे सर्वाधिक विकसित राज्यों में शामिल हों इसके लिए विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है। यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कारगर सिद्ध होगा।
चाचा चौधरी की कहानी
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने राज्य सरकार के बजट को चाचा चौधरी की कहानी करार देते हुए कहा, कि यह बजट सुनने में ही अच्छा है, हकीकत में कुछ नहीं। इससे जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली है। यह सिर्फ आंकड़ों का मायाजाल है। इस बजट से यह बात एक बार फिर सिद्ध हो गई है, कि भाजपा सरकार जनता को लुभाने के लिए लोकलुभावन बातें करती हैं। प्रदेश की समस्याओं को दूर करने के लिए वह कोई ठोस पहल नहीं कर रही है।
झलकियां
बजट भाषण शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने व्यापमं मुद्दे पर चर्चा की मांग की जिस पर अध्यक्ष ने कहा, कि वे उनके कक्ष में आकर चर्चा कर लें।
वित्तमंत्री के भाषण के दौरान उनकी पत्नी सुधा मलैया और पुत्रवधु अध्यक्षीय दीर्घा में मौजूद थे।
वित्तमंत्री के भाषण के दौरान जहां सत्तापक्ष के सदस्यों ने तालियां बजाकर बजट घोषणाओं और प्रावधानों का स्वागत किया। वहीं विपक्षी सदस्यों ने कई बार टोकाटाकी की।
वित्तमंत्री ने अपना भाषण एक 42 मिनट में पूरा किया। इस दौरान उन्होंने तीन बार पानी पिया।
वित्तमंत्री के भाषण के दौरान सत्तापक्ष के सदस्य केदार शुक्ला और कुसुम महदेले झपकी ले रहे थे, तभी कांग्रेस सदस्य जीतू पटवारी ने कहा, कि यह उबाऊ बजट है इसलिए सत्तापक्ष के सदस्य सो रहे हैं।
इस पर मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा, कि बजट इतना अच्छा है, कि विपक्ष की नींद उड़ी हुई है। इससे सदन में खूब ठहाके लगे।
बजट के बाद पत्रकारों ने वित्तमंत्री का ध्यान उनकी पत्नी द्वारा बजट को नीरस बताए जाने की ओर आकर्षित किया तो श्री मलैया ने कहा, कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन यह विभाग ही ऐसा है, कि इसमें लोगों की रुचि कम रहती है। मैं खुद विधायकों से कहता हूं, कि वे मेरे विभाग से संबंधित प्रश्न पूछा करें।
वित्तमंत्री ने यह भी कहा, कि मैं भी इस विभाग में पहले ज्यादा रुचि नहीं लेता था। मंत्री बनने के बाद मेरी भी मजबूरी हो गई। मैं कॉमर्स का विद्यार्थी नहीं होता तो शायद बहुत सी बातें नहीं समझ पाता।