प्रदेश सरकार जून में एक बार फिर बाजार से कर्ज लेगी। इस बार भी एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी वित्त विभाग कर चुका है। 11 दिन पहले ही विभाग ने एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। बताया जा रहा है कि अधोसंरचना विकास की योजनाओं के लिए कर्ज लिया जा रहा है। सरकार वर्ष 2019-20 में 35 हजार करोड़ रुपए तक कर्ज ले सकती है।
सूत्रों के मुताबिक सरकारी खजाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वचन पत्र को पूरा करने के लिए खर्च पहले की तुलना में बढ़ गया है। अकेले किसानों की कर्जमाफी में ही 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लगने हैं। अभी तक छह हजार करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान सरकार कर चुकी है। इसमें लगातार वृद्धि होना तय है। वहीं, अन्य योजनाओं में भी व्यय बजट बढ़ गया है। इसका असर दूसरी अधोसंरचना विकास की योजनाओं पर न पड़े, इसके लिए सरकार कर्ज का सहारा ले रही है। अप्रैल 2019 से अभी तक सरकार पांच बार में चार हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है।
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कम ब्याज दर पर कर्ज मिल जाता है, इसलिए प्राथमिकता रहती है कि इस समय राशि ले ली जाए। नवबंर के बाद कर्ज लेने में ब्याज दर साढ़े नौ से दस प्रतिशत के आसपास आती है। हालांकि, सरकार कर्ज लंबी अवधि (दस साल) के लिए लेती है।
वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि बजट में सख्ती के साथ मितव्ययिता के उपाय भी अपनाए जाएंगे। इसके मद्देनजर सभी विभाग से कहा गया है कि वे अनुपयोगी या गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने के कदम उठाएं। उन योजनाओं को आपस में मिलाने की दिशा में काम करें, जो समान प्रकृति की हैं। इससे स्थापना व्यय में कमी आएगी और खर्च के दोहराव को रोका जा सकेगा।
सरकार का पूरा जोर विभाग की आय बढ़ाने पर है। इसके लिए राजस्व उगाहने वाले विभागों के मंत्रियों को समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अधिकारियों से कहा है कि वे स्वयं की आय बढ़ाने के लिए बिजनेस मॉडल को अपनाएं। इसके लिए सलाहकार भी नियुक्त कर सकते हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि वे अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करें। राजस्व विभाग को विशेष तौर पर कहा गया है कि वसूली के जो आदेश जारी होते हैं वे समयसीमा में क्रियान्वित हों।
प्रदेश सरकार अभी तक साढ़े नौ हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। इसकी शुरुआत फरवरी से हुई। एक फरवरी, 11 फरवरी, 22 फरवरी, 28 फरवरी, आठ मार्च, 25 मार्च, पांच अप्रैल, 30 अप्रैल, चार मई, 30 मई और पांच जून को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बाजार से कर्ज लिया गया।