भोपाल । आगामी मई महीने में होने वाले लोकसभा के आम चुनाव में भाजपा मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनकी सरकार के कई पूर्व मंत्रियों पर आगामी आम चुनाव में दांव लगा सकती है। फिलहाल पार्टी ने जिन सीटों पर प्रत्याशी बदलने का फैसला किया है, उनमें उम्रदराज नेताओं या एक ही सीट से कई बार चुनाव जीतने वाले नेताओं की संख्या ज्यादा है।
खंडवा सीट से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, खरगोन से अंतरसिंह आर्य, भिण्ड से लालसिंह आर्य या पूर्व सांसद अशोक अर्गल जैसे नेताओं को लोकसभा चुनाव में पार्टी उतार सकती है। पार्टी ने कुछ नेताओं से कह भी दिया है कि वह लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। भिण्ड में वर्तमान सांसद भागीरथ प्रसाद का काफी विरोध है। पार्टी इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
विदिशा से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चुनाव नहीं लडने का एलान कर चुकी हैं। ऐसे में पार्टी की तैयारी ये है कि शिवराज सिंह को विदिशा या अन्य सीट से उतारा जाए। मुरैना सांसद अनूप मिश्रा विधानसभा चुनाव हारने के बाद से नई सीट की तलाश में हैं। देवास से मनोहर ऊंटवाल की जगह थावरचंद गेहलोत को उतारा जा रहा है, जबकि राव उदय प्रताप सिंह की जगह पार्टी को होशंगाबाद से कोई दमदार नाम नहीं मिल रहा है।
मुरैना लोकसभा सीट से सांसद अनूप मिश्रा कुछ ही दिन पहले विधानसभा चुनाव हारे हैं पर उनकी लोकसभा सीट मुरैना में अनुकूल स्थितियां नहीं हैं। पार्टी नेताओं की मानें तो मिश्रा स्वयं भी अब इस सीट से चुनाव नहीं लडना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की लोकसभा सीट छिंदवाडा भाजपा के राडार पर है। इस सीट को जीतने के लिए पार्टी ने पहले ही उत्तर प्रदेश के स्वतंत्र देव सिंह को प्रभारी नियुक्त किया था पर वहां से अब तक कमलनाथ या उनके परिवार को टक्कर देने लायक कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। अगर वहां से कोई कद्दावर नेता नहीं मिला तो पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को भी आजमाया जा सकता है।
बुरहानपुर विधानसभा चुनाव हारने के बाद से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस ने खंडवा लोकसभा सीट से तैयारी शुरू कर दी है। इस सीट से फिलहाल नंदकुमार सिंह चौहान सांसद हैं। पार्टी का एक धडा पूर्व मंत्रियों को चुनाव लडवाने के खिलाफ है। उनका तर्क है कि ऐसे लोग अपनी विधानसभा सीट पर फिर हारेंगे, इसलिए नए चेहरों पर दांव लगाना चाहिए।
भाजपा के राश्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रभारी मध्यप्रदेश डॉ. विनय सहस्त्रबुद्ध ने कहा है कि चाहे हारे हुए नेता हों या जीते, सभी भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता हैं। केंद्रीय चुनाव समिति लोकसभा चुनाव की परिस्थितियों का ध्यान में रखते हुए जनता के लिए काम करने वाला और अच्छी छवि का प्रत्याशी चुनेगी।