नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में बीती 14 जून को सेना के जवान औरंगजेब की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। यह घटना दक्षिणी कश्मीर के सलानी गांव में हुई थी जब औरंगजेब छुट्टी लेकर ईद मनाने जा रहे थे। तब शोक में डूबे औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफ ने खुद अपने बेटे की मौत का बदला लेने की बात कही थी।
हालांकि, दो महीने बाद शहीद औरंगजेब के गांव सलानी में उसके करीब 50 दोस्त जुटे हैं, जो खाड़ी देशों से अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरियां छोड़कर लौटे हैं। इनका मकसद सेना और पुलिस में भर्ती होकर आतंकियों से अपने दोस्त की हत्या का बदला लेना है।

मोहम्मद किरामत और मोहम्मद ताज उन 50 लोगों में शामिल हैं जो सऊदी अरब से अपनी नौकरी छोड़कर अब पुलिस और सेना में भर्ती होना चाहते हैं। किरामत ने कहा, “सऊदी में ऐसे अचानक नौकरी छोड़ने की इजाजत नहीं है, लेकिन हमने किसी तरह ये कर लिया। हमारा एक ही मकसद है औरंगजेब की मौत का बदला।”

सेना में नौकरी कर रहे औरंगजेब के भाई मोहम्मद कासिम ने कहा कि उनके भाई की मौत के लिए आतंकी नहीं, बल्कि आतंकी संगठनों को यह काम करने का निर्देश देने वाले जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि सेना की चेतावनी और कार्रवाई के बाद भी आतंकी बेखौफ हैं।

बता दें कि औरंगजेब की हत्या के बाद से घाटी में इसी तरह से दो पुलिसकर्मियों और एक सीआरपीएफ जवान की हत्या हो चुकी है। सीआरपीएफ के जवान नसीर रादर की मौत की बात उनके परिजन स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं जिनकी हत्या पुलवामा में 29 जुलाई की गई है।

औरंगजेब को आतंकियों ने 14 जून को अगवा किया था। पुलवामा में उसी दिन रात में उनका गोलियों से छलनी शव मिला था। आतंकियों ने औरंगजेब को मरने से पहले का वीडियो भी जारी किया था। औरंगजेब के पिता हनीफ सेना से रिटायर्ड हैं। 2014 में आतंकियों ने औरंगजेब के चाचा को अगवा कर उनकी हत्या कर दी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *