ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए एससी-एसटी (एट्रोसिटी) एक्ट में तीन आरोपितों को अग्रिम जमानत दे दी है। जमानत स्वीकार करते हुए ग्वालियर खंडपीठ ने तर्क दिया कि एफआईआर मात्र से किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अगर जांच अधिकारी को लगता है कि आरोपित की गिरफ्तारी जरूरी है तो ही गिरफ्तारी जैसा कदम उठाना चाहिए। इस मामले में गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। संसद से एससी-एसटी एक्ट में संशोधन होने के बाद कोर्ट से प्रदेश में संभवत: यह पहली अग्रिम जमानत है।

पिछले माह विवेक शखवार नाम के व्यक्ति ने इंदर सिंह, मनीष राठौर व हरि सिंह राठौर निवासी भाई खान का पुरा अंबाह जिला मुरैना के खिलाफ सिंहोनिया थाने में मारपीट, एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। इन लोगों के बीच विवाद खेत से मिट्टी खोदने को लेकर हुआ था। तीनों के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन तीनों आरोपितों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोहित शिवहरे ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि तीनों पर झूठा केस दर्ज कराया गया है। खेत से मिट्टी भरने से रोकने पर फरियादी ने केस दर्ज कराया है। साथ ही जिस दिन की घटना थी, उस दिन केस दर्ज नहीं कराया गया है।

दूसरे दिन थाने जाकर केस दर्ज कराया गया है, इसलिए एफआईआर को निरस्त किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और तीनों आरोपितों को अग्रिम जमानत दे दी।

कोर्ट ने अपनी शक्तियों का किया प्रयोग

संसद में केंद्र सरकार ने जो संशोधन कानून पास किया है, उसकी धारा 18 ए में प्रावधान है कि एट्रोसिटी एक्ट में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। एफआईआर दर्ज होने के बाद सीधी गिरफ्तारी होगी। कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 की अंतरनिहित शक्ति व संविधान के अनुच्छेद 226 रिट याचिका की शक्तियों का प्रयोग किया। इनके प्रयोग से आरोपितों को अग्रिम जमानत दी गई।

एट्रोसिटी एक्ट में गिरफ्तारी करने पर टीआई को कारण बताओ नोटिस

ग्वालियर के विशेष सत्र न्यायाधीश ने एक अन्य मामले में महाराजपुरा टीआई वायएस तोमर को कारण बताओ नोटिस जारी कर नौ अक्टूबर तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है- क्यों न आपके खिलाफ अवमाननापूर्ण आचरण के लिए केस हाई कोर्ट को भेजा जाए। यह नोटिस एससी एसटी एक्ट में बिना कारण बताए आरोपित को गिरफ्तार करने के मामले में जारी किया है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक को भी आदेश दिया है कि टीआई के खिलाफ दो महीने में कार्रवाई कर कोर्ट को अवगत कराएं।

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