मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले के बाद निर्दलीयों की बल्ले-बल्ले हो सकती है. सर्वे रिपोर्ट में अन्य के खातों में जा रही बड़ी संख्या के बाद सत्ता का सिंहासन पाने के लिए राजनैतिक दल अभी से जोड़-तोड़ की सियासत में जुट गए हैं.

दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई में जीत किसकी होगी इसका फैसला 11 दिसंबर को होगा, लेकिन उससे पहले तमाम एजेंसियों के सर्वे ने नेताओं की नींद उड़ा दी है. एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बताया गया है. यानी कि दोनों ही दल सरकार बनाने के जादुई आंकड़े के करीब हैं, लेकिन आखिर में बहुमत होगा किसके साथ, इसको लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो उठा है. एग्जिट पोल के सर्वे में इस बार तीसरे दल और निर्दलीयों को बीते चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीटें मिलना बताया गया है.

वहीं दूसरी ओर सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को छूने को बेताब कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि सत्ता तक जाने के लिए यदि जरूरी हुआ तो समान विचार वाले दलों और निर्दलीयों का सहयोग लिया जाएगा, जबकि बीते तीन चुनाव से बहुमत के साथ सत्ता के सिंहासन पर बनी बीजेपी भी इस बार चुनाव में नतीजों के उलट-पलट होने के खौफ में है. भाजपा मान रही है कि यदि कहीं जरूरी आंकड़ा छूटा तो हालातों के मुताबिक फैसला होगा.

हालांकि प्रदेश का इतिहास बताता है कि अब तक राज्य में जो भी सरकार बनी उसे पूरा बहुमत हासिल रहा है, लेकिन पहली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबला संकेत दे रहा है कि यदि एग्जिट पोल के नतीजे सच हुए तो इस बार तीसरे दल और निर्दलीयों की पूछ-परख जरूर बढ़ेगी और सत्ता का सिंहासन भी उसी के पास होगा जो समय रहते जरूरी संख्या को जुटाने का माद्दा रखता होगा.

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