भोपाल। इंदौर कलेक्टर भले ही कितनी चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा करते रहे परंतु घटनाक्रम कुछ और ही प्रमाणित करते हैं। सुबह पत्रकार श्री गौरव शर्मा ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि इंदौर के क्वॉरेंटाइन सेंटर में किसी भी तरह के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है। शाम को खबर आई कि एक व्यक्ति जिसमें कोरोना के संक्रमण के लक्षण भी थे, एंबुलेंस के इंतजार में मर गया।

पांडू राव चांदने इंदौर के बड़वाली चौकी इलाके में रहते थे। घर में तीन बच्चे और पत्नी हैं। सीमेंट की दुकान में काम करते थे। पांडू राव चांदने को उनके बड़े भाई और पत्नी एक्टिवा में बिठाकर दो तीन अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे लेकिन कहीं उनका इलाज नहीं हुआ और MY HOSPITAL पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके परिजनों ने बताया कि चांदने को 8-10 दिनों से बुखार था, सांस लेने में तकलीफ थी। इंदौर में क्लॉथ मार्केट अस्पताल ने कुछ दिनों पहले उन्हें सिर्फ दवा देकर घर भेज दिया। सोमवार को भी उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, लेकिन अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। परिजन मंगलवार को एंबुलेंस का इंतजार करते रहे, जब एंबुलेंस नहीं मिली तो स्कूटी में ही उन्हें लेकर क्लॉथ मार्केट अस्पताल से एमवाय पहुंचे लेकिन तब तक सांसें साथ छोड़ चुकी थीं।

इस मामले में CMHO, MY HOSPITAL के डीन से बात करने की कोशिश की गई लेकिन सबने अनभिज्ञता जताई। इस मामले में सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘शिवराज सिंह जी, आप खुद जितनी तारीफ़ करना चाहें कर लीजिए, यह ताजा वीडियो आपके सपनों के शहर-इंदौर का है, जहां 3 अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद इस रोगी बच्चे को एम्बूलेंस नहीं मिली। मिली तो सिर्फ़ मौत! शव भी स्कूटी पर ! शर्म भी शर्मा रही है, मामाजी।’

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