भदोही। एक समय था जब मनोरंजन के साधन नहीं हुआ करते थे। तब लोग  मनोरंजन के लिए भेड़, भैंसा, मुर्गा, बुलबुल जैसे पशु-पक्षियों को लड़ाते थे। लोग मनोरंजन किया करते थे। इसी में से एक है मुर्गा लड़ाने की परम्परा। यह परम्परा काफी पुरानी है। लेकिन अब पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है। लेकिन  उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में आज भी मुर्गा लड़ाने की यह सदियो पुरानी  परम्परा कायम है। भदोही शहर के चैरी रोड स्थित बाजार सरदार खान मुहल्ले में  प्रत्येक शुक्रवार को मुर्गा का दंगल होता है। मुर्गे के इस दंगल को देखने  के लिए भदोही जिले के काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। और मनोरंजन करते हैं। 

  मुर्गे ऐसे लड़ते हैं जैसे अखाड़े में दो पहलवान। मुर्गा लड़ाने वाले रिंकू  धीवर व आरिफ बताते हैं कि यह मुर्गा अलग ही किस्म के होते हैं। इन्हे बड़े  नाज से पाला जाता है। एक मुर्गे की कीमत लगभग दस हजार होती है। और प्रतिदिन  एक मुर्गे की खुराकी पर 70 से 80 रूपया खर्च आता है। बताया कि हम लोगों के  खानदान में लगभग डेढ़ सौ साल से मुर्गा लड़ाया जा रहा है। आज भी मुर्गे की  लड़ाई देखने के लिए लोग दूर-दराज से आते हैं। लेकिन अब समय बदलने के साथ  मनोरंजन के तमाम साधन हो गये हैं। जिससे यह परम्परा पूरी तरह विलुप्त हो जा  रही है।

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