इंदौर। इंदौर में कोरोना काल मे प्रशासन पर लगे आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए सस्ती लोकप्रियता के लिए गलत आधारों पर इस तरह की याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने इंदौर में कोरोना पर नियंत्रण के लिए प्रशासन व सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की मुक्तकंठ से सराहना की।
जस्टिस एससी शर्मा व जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की डिवीजन बेंच ने अजय दुबे की याचिका को खारिज करते हुए पक्षकारों (शासन, प्रशासन व अन्य) को यह स्वतंत्रता दी कि वे कानून के अनुसार इस मामले में कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
उल्लेखनीय है कि शहर में कोरोना संक्रमण फैलने और पांच महीने के बाद भी कंट्रोल नहीं होने, संक्रमितों और मृतकों के आंकड़ों में गड़बड़ी, स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना को लेकर की गई खरीदी में भ्रष्टाचार, केंद्र के प्रतिबंध के बावजूद लॉकडाउन में गुटखा और पान मसाला सप्लाय की अनुमति सहित अन्य मुद्दों को लेकर यह जनहित याचिका दायर की गई थी।
शासन, प्रशासन ने अपनी और से पेश तर्क व जवाब में कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी के साथ कोर्ट को बताया कि याचिका में पेश दस्तावेज फर्जी व आधारहीन है।
फैसले में कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कहा कि किसी पर आरोप लगाने से पहले यदि वे कोविड-19 के दौर में काम कर रहे कोरोना वारियर जो अपनी जान गवा चुके हैं उनके लिए मदद करते तो सही होता।