इंदौर। इंदौर की समृद्धशाली परंपरा गेर को विश्व धरोहर के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। संस्कृति विभाग के माध्यम से गेर की डॉक्यूमेंट्री और वीडियोग्राफी यूनेस्को भेजी जाएगी। इसे हेरिटेज कलर फेस्टिवल नाम दिया जाएगा। रंगपंचमी की इस परंपरा को संजोए रखने के लिए शुक्रवार को कलेक्टोरेट में हुई बैठक में पहली बार यह प्रस्ताव आया। गेर संचालकों ने भी इसका समर्थन किया। यूनेस्को में प्रस्ताव भेजने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी भी कर ली गई है।
कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव के मुताबिक, सांस्कृतिक त्योहार होने से इसमें पारिवारिक सहभागिता भी होती है। गेर प्रदेश में सबसे बड़े रूप में यहीं मनाई जाती है। यदि इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिलता है तो इंदौर में मनाए जाने वाले इस उत्साही उत्सव को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी। गेर की वीडियोग्राफी कराकर डॉक्यूमेंट्री तैयार कराई जाएगी, जिसे विश्व धरोहर घोषित करने वाली यूनेस्को की समिति के पास भेजा जाएगा। हालांकि इसकी प्रक्रिया बहुत लंबी है, लेकिन हम शुरुआत करना चाहते हैं।
देश भर में जहां होली पर रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं। वहीं इंदौर में होली से ज्यादा रंगपंचमी खेली जाती है। यह परंपरा 1947 से चली आ रही है। गेर संचालकों के अनुसार रंगपंचमी के दिन लोगों को घेरकर पानी के कढ़ाव में डाला जाता था, बाद में घेर का नाम गेर हो गया। समय के साथ स्वरूप बदला और इसने सांस्कृतिक पहचान का रूप में ले लिया है। हर साल इसमें 4 से 5 लाख लोग शामिल होते हैं।
प्रयागराज में हर 12 साल में होने वाले कुंभ का नाम भी यूनेस्को के पास विश्व धरोहर के लिए भेजा गया है। अफसरों का दावा है कि कुंभ 12 साल में एक बार आता है, जबकि इंदौर में गेर हर साल निकली जाती है। वहीं मांडू स्थित जहाज महल को भी इस सूची में शामिल करने के लिए भेजा गया प्रस्ताव यूनेस्को के पास लंबित है।
कलेक्टर ने गेर की डॉक्यूमेंट्री तैयार करने के लिए कहा है। डॉक्यूमेंटेशन के बाद राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा, राज्य इसे केंद्र को और वहां से पास होने के बाद इसे यूनेस्को भेजा जाएगा।
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) खास स्थानों और आयोजनों को धरोहर घोषित करता है। इसका उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।