पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकी सूची में शामिल कराने संबंधी प्रस्ताव को बाधित करने का बीजिंग द्वारा लिया गया हालिया फैसला भारत-चीन के संबंधों और को ‘भारी नुकसान’ पहुंचा रहा है। शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञों ने मंगलवार को यह बात कही।
हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि चीन द्वारा उठाया गया यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। संयुक्त राष्ट्र में पाक आतंकियों पर प्रतिबंधों को लगातार बाधित करने की बाबत जो तर्क दिए गए वे सवालों के घेरे में हैं।

चीन इसे साफ-साफ अपने मित्र पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के तौर पर देख रहा है जबकि उसके ये कदम पहले से ही तनावपूर्ण चीन-भारत संबंधों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि चीन का हालिया कदम वैश्विक आतंकवाद के प्रति उसकी ‘गंभीर अनदेखी’ को बताते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी सदस्य और न्यूयॉर्क में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल हम मसूद अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने के प्रयासों का समर्थन करेंगे और यूएन के दूसरे सदस्यों को भी इसके समर्थन के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

दूसरी ओर अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (सीएसआईएस) के रिक रॉसोव ने कहा कि चीन के हालिया कदम का समय काफी मायने रखता है। यह ऐसे समय उठाया गया कदम है जब अमेरिका ने आतंकवाद का समर्थन करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाया हुआ है।

उल्लेखनीय है कि चीन ने पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश को बाधित कर दिया था।

इसके लिए उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के बीच आम सहमति न बन पाने का हवाला दिया था। यही नहीं पिछले साल मार्च में भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यीय देशों में से केवल चीन ही इकलौता देश था जिसने भारत के प्रस्ताव को बाधित कर दिया था।

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