आतंकवादी संगठनों को फलने-फूलने में पूरी मदद देने वाला पाकिस्तान अब इस मोर्चे पर बुरी तरह घिरता हुआ नजर आ रहा है। US की प्रतिनिधि सभा ने पाकिस्तान को रक्षा क्षेत्र में मदद के लिए दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग की शर्तों को और सख्त बनाने के लिए 3 विधायी संशोधनों पर वोट किया है। इसमें शर्त रखी गई है कि वित्तीय मदद दिए जाने से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संतोषजनक प्रगति दिखानी होगी। साफ है कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवादियों को मदद देना बंद नहीं किया, तो न केवल उसे अमेरिका द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता से हाथ गंवाना पड़ेगा, बल्कि उसे अमेरिका की सख्त कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
ये सभी शर्तें पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को दी जा रही मदद से संबंधित हैं। इसे लेकर पहले भी कई शीर्ष अमेरिकी अधिकारी और सांसद चिंता जताते रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस की निचली सदन ने 651 अरब डॉलर वाले नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन ऐक्ट (NDAA) 2018 के इन तीनों विधायी संशोधनों को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से इसे पारित किया है।
सदन में पारित इस विधेयक के कारण अब सेक्रटरी ऑफ डिफेंस जेम्स मैटिस को पाकिस्तान को फंड देने से से पहले यह प्रमाणित करना होगा कि इस्लामाबाद ग्राउंड्स लाइंस ऑफ कम्यूनिकेशन (GLOC) पर सुरक्षा बनाए रख रहा है। GLOC सैन्य यूनिट्स को आपूर्ति मार्ग से जोड़ने वाला और सैन्य साजो-सामान को लाने-ले जाने का अहम रास्ता है।
मैटिस को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान उत्तरी वजीरिस्तान को अपनी पनाहगाह बनाने वाले हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है। साथ ही, पाकिस्तान को यह भी साबित करना होगा कि वह अफगानिस्तान से लगी अपनी सीमा पर हक्कानी नेटवर्क समेत बाकी सभी आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में अफगानिस्तान सरकार के साथ सक्रिय सहयोग कर रहा है।
सदन द्वारा पारित एक संशोधन में इस बात का प्रस्ताव रखा गया है कि जब तक सेक्रटरी ऑफ स्टेट यह पुष्टि न कर सकें कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा घोषित किसी भी आतंकवादी को सैन्य, वित्तीय मदद या साजो-सामान उपलब्ध नहीं करा रहा, तब तक पाकिस्तान को दिया जाने वाला फंड जारी न किया जाए। एक संशोधन में यह भी कहा गया है
कि शकील अफरीदी एक अंतरराष्ट्रीय नायक हैं और पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि वह तुरंत उन्हें जेल से रिहा कर दे। अफरीदी ने एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता लगाने में अमेरिका की मदद की थी। अपने 6 महीनों के कार्यकाल में ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को कई बार आतंकवाद पर उसकी भूमिका को लेकर चेतावनी दे चुका है।