इंदौर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी इंदौर में दिगंबर जैन समाज के सबसे बडे संत आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने रविवार को इंदौर में मंगल प्रवेश किया। कडाके की ठंड में आचार्य के स्वागत के लिए जगह-जगह मंच लगाए गए थे। आचार्यश्री ने 31 संतों के संघ के साथ शहर में प्रवेश किया। बडवानी से इंदौर की ओर रुख करने के बाद 6 दिन में वे 40 किमी विहार कर चुके हैं। इससे पहले वे 1999 में इंदौर शहर में आए थे। आचार्य विद्यासागरजी सबसे पहले 1967 में ब्रह्मचारी विद्याधर के रूप में आचार्य देषभूषणजी महाराज के संघ के साथ तीन दिन के लिए 25 जनवरी को इंदौर आए थे।
आचार्य विद्यासागर जी के आशीर्वाद से संचालित दयोदय चेरिटेबल ट्रस्ट 20 वर्षों से ग्राम रेवती में 27 एकड का लैंड यूज बदलवाने की कोशिश कर रहा था। आचार्यश्री यहां पर जैैन शिक्षा केंद्र और सहस्त्रकूट जिनालय का निर्माण कराना चाहते हैं। ट्रस्ट लैंड यूज नहीं करा पा रहा था। इससे आचार्यश्री नाराज थे। 2015 में केंद्र के लिए 3 करोड रुपए भी इकट्ठा हुए थे। वे आसपास से गुजरे लेकिन इंदौर शहर नहीं आए। ट्रस्ट के नरेंद्र जैन के मुताबिक, शासन स्तर पर सुनवाई न होने से दिक्कत आई। विधानसभा चुनाव से पहले टीएंडसीपी डायरेक्टर राहुल जैन ने प्रक्रिया शुरू की और पांच महीने पहले ही विभाग ने लैंड यूज बदला है।
किसी भी कार्य की सफलता के लिए एकता जरूरी है। पटरियों में पर्याप्त समान दूरी न हो तो रेलगाडी भी नहीं दौड सकती। हम कार्य तो कर सकते हैं, लेकिन कई बार इसलिए नहीं कर पाते कि हमारी पटरी नहीं बैठती। आप योजना लंबी-चौडी बना लें, लेकिन कार्यरूप नहीं दे पाए तो सब बेकार हो जाता है। जीवन में ज्ञान, चरित्र, दर्शन ये रत्नत्रय आ जाएं तो जीवन भव्यतम हो सकता है। आप लोग इंदौर की क्षमता को पहचान नहीं पा रहे हैं। आप कदम उठाएंगे तभी तो मंजिल तक पहुंचेंगे। बोरों में भरा धान अंकुरित नहीं होता, उसे अंकुरित होने के लिए मिट्टी, पानी, प्रकाश की जरूरत होती है। दर्शन, ज्ञान, चरित्र से हम अपने आप को उन्नत बना सकते हैं।
संघ के ब्रह्मचारी सुनील भैया ने बताया कि आचार्य विद्यासागरजी महाराज 74 वर्ष की आयु में भी 24 में से सिर्फ ढाई घंटे विश्राम करते हैं। रात 11 बजे विश्राम के लिए जाते हैं और 1.30 बजे उठ जाते हैं। लकडी के तखत पर सोते हैं। करवट नहीं बदलते ताकि दूसरी ओर कोई जीव की हानि न हो।
दो हिस्सों में रात 1.30 से सुबह 5.30 बजे तक, शाम 5 से 11 बजे तक। आठ घंटे ध्यान करते हैं। सुबह 9.45 बजे आहार चर्या करते हैं। एक ही बार भोजन व पानी लेते हैं। हरी सब्जियों, दूध, मीठा, फल, ड्राय फ्रूट, तिल, जूस नहीं लेतेे। रोटी, मूंग-तुअर की दाल व कडी लेते हैं। हर दो महीने में खुद केश लोचन करते हैं।