भोपाल। राज्य में विधानसभा चुनाव भले ही साल 2018 के अंत में होंगे पर सरकार पूरे साल चुनावी मोड में रही। हर कदम पर चुनावी तैयारियां हावी रहीं। प्रशासन में कभी गर्मी तो कभी नर्मी नजर आई। किसानों ने सड़क पर उतरकर सरकार को योजनाओं पर फिर विचार करने के लिए मजबूर किया तो राजस्व प्रशासन एक बार फिर मुख्यधारा में आया।

निलंबित आईएएस अफसर शशि कर्णावत की बर्खास्तगी के साथ राजस्व बोर्ड के सदस्य एमके सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। कर्मचारियों को सातवें वेतनमान मिला पर पेंशनर्स अधर में ही अटके रहे।

कलेक्टरों को हटाया, फिर बनाया

पूरा साल प्रशासनिक उथल-पुथल में बीता। अटेर विधानसभा उपचुनाव में शिकवा-शिकायत को लेकर भिंड कलेक्टर इलैया राजा टी विवादों में रहे। निष्पक्ष चुनाव को लेकर उठे सवालों की वजह से चुनाव आयोग के निर्देश पर उन्हें हटाना पड़ा। हालांकि, चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें फिर वहीं पदस्थ कर दिया गया। उपज के दाम नहीं मिलने से किसान आंदोलन गरमाया तो मंदसौर सहित पूरा प्रदेश धधक उठा। गोलीबारी में किसानों की मौत के बाद मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को हटाया गया।

भाजपा नेता कमल पटेल के पुत्र को जिलाबदर करने के फैसले से विवाद इतना गहराया कि सरकार को हरदा कलेक्टर श्रीकांत बनोठ को हटाना पड़ा। इससे गलत संदेश जाने पर कुछ ही दिनों में उन्हें वापस हरदा में पदस्थ कर दिया। करीब एक माह बाद बनोठ को फिर हटा दिया। दाल खरीदी में गड़बड़ी पर नरसिंहपुर कलेक्टर डॉ.रामराव भोंसले को हटाया गया।

कलेक्टरों को उल्टा टांगने की बात पर बवाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में राजस्व मामलों को निपटाने में कोताही बरतने वाले कलेक्टरों को उल्टा टांगने का बयान क्या दिया बवाल मच गया। विपक्ष ने जब भी कोई घटना हुई, मुख्यमंत्री के इस बयान को खूब उठाया। समाधान ऑनलाइन हो या विभागों की बैठक, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को लेकर तीखी टिप्पणियां की। उन्होंने यहां तक कहा कि भ्रष्ट अफसरों की सेवाओं को 20-50 के फार्मूले पर परखा जाए। जो भी अनफिट पाया जाए, उसे बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाए। इससे सभी विभागों में हडकंप मचा रहा।

छाए रहे श्रीवास्तव-जुलानिया-अग्रवाल

पूरे साल अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव, राधेश्याम जुलानिया और प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल चर्चा में रहे। श्रीवास्तव से जहां अन्य विभागों के अधिकारी पर्याप्त राशि न मिलने को लेकर खफा रहे तो जुलानिया की कार्यप्रणाली से नाराज पंचायत सचिव हड़ताल पर चले गए। ग्रामोदय अभियान पर इसका असर पड़ा।

जुलानिया की पंचायत आयुक्त संतोष कुमार मिश्रा से तीखी बहस हुई, जिसके चलते मिश्रा बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसी तरह लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल की कार्यप्रणाली से पूरे विभाग में हडकंप रहा। प्रमुख अभियंता अखिलेश अग्रवाल से उनकी बातचीत लगभग बंद रही। विभागीय मंत्री रामपाल सिंह से भी पटरी नहीं बैठी और अंतत: उन्हें हटाया गया।

उपवास पर बैठे सीएम

हिंसक हो चुके किसान आंदोलन को थामने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं उपवास पर बैठ गए। दो दिन चले इस उपवास में दूरदराज से किसान आकर मिलते रहे और मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं कीं। उपवास मंदसौर गोलीबारी में मृतकों के परिजनों के आग्रह पर समाप्त हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री न सिर्फ उपवास स्थल पर ही रहे बल्कि सरकारी कामकाज भी निपटाया।

निजी हाथों में सरकारी जमीन

पूरे साल राजस्व मंडल के जमीनों से जुड़े फैसलों पर विवाद सामने आते रहे। इससे खफा होकर मुख्यमंत्री ने इसे बंद करने तक की बात कही। छतरपुर, सागर सहित अन्य जिलों में सरकारी जमीनों को निजी हाथों में सौंपने के मामले सामने आए।

25 राप्रसे को आईएएस अवॉर्ड, दाहिमा अटके

राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए साल बेहद सुखद रहा। 25 अधिकारियों को आईएएस अवॉर्ड हुआ। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारी ललित दाहिमा का मामला अटक गया। कोर्ट-कचहरी तक बात भी पहुंची और उन्हें राहत भी मिली। इसी तरह 1993 बैच के अधिकारी समय से पहले प्रमुख सचिव बन गए। 1994 बैच के अधिकारियों को भी तोहफा देने की तैयारी हो गई है।

श्रीवास्तव ने बढ़ाया मप्र का मान

प्रदेश की वरिष्ठ आईएएस अफसर स्नेहलता श्रीवास्तव ने प्रदेश का मान बढ़ाने का काम किया। उन्हें लोकसभा का महासचिव बनाया गया। श्रीवास्तव ऐसी पहली महिला अफसर हैें, जिन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *