अमेठी !  अमेठी में मायूसी छा  गई है। आज इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का फैसला आने के बाद सब हैरान है। अदालत के आदेश में साफ कहा गया है कि केन्द्र सरकार की जनगणना की अधिसूचना के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने अमेठी जिले की अधिसूचना जारी किया था। जिससे अमेठी जिला खारिज किया जाता है।
अमेठी उत्तर प्रदेश का पहला जिला है जिसे 11 साल में दूसरी बार समाप्त किया गया है। जो मायावती की गलत नीतियों का खामियाजा है। जिसे अमेठी की जनता बार बार भुगत रही है। इस खेल में कांग्रेस भी किसी दल से पीछे नहीं है। जिला खारिज होने की खबर से अमेठी में एक बार फिर मायूसी छा गयी है। उत्तर-प्रदेश के सिचाई राय मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने कहा कि वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर अमेठी जनपद के पुन: अधिसूचना जारी करने का अनुरोध करेंगे। उनके इस अनुरोध को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जरूर स्वीकार करेगे। अमेठी जनपद के समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष छोटे लाल यादव ने कहा कि जिला खारिज होने के बाद से अब तक उनके पास हजारों टेलीफोन आ चुके हैं। जिसमें सभी लोग जिला बहाल करवाने की बात कर रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि अमेठी की जनता ने समाजवादी पार्टी की सरकार को तीन विधायक दिया है। इसलिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अमेठी का सम्मान जरूर रखेगे। गौरीगंज के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि मायावती की गलत नीतियों के कारण अमेठी की दुर्दशा हो रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार की मतगणना के दौरान जिले की अधिसूचना जारी किया था। जिससे उच्च न्यायालय ने अमेठी जिले को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वे देर रात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर अमेठी के जनता की भावनाओं को उनके समक्ष रखेंगे। उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री अमेठी की जनता की भावनाओं को ठेस नहीं पहुचने देंगे। कांग्रेस के विधान सभा अध्यक्ष वृजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि अमेठी जनपद तेजी से विकास कर रहा था। लेकिन एक बार फिर उसके विकास में बाधा आ गई है। अगर सपा सरकार ने समय के पहले इस जिले का बहाल कर दिया तो विकास का पहिया चलता रहेगा। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 11 दिसम्बर 2002 में अमेठी को उत्तर प्रदेश का 71 वां जिला बनाने की घोषणा किया था। बसपा मुखिया की इस घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार ने 21 मई 2003 को सुल्तानपुर जनपद की तीन तहसील अमेठी, गौरीगंज और मुसाफिरखाना तथा रायबरेली की दो तहसीलें तिलोई और सलोन की पांच तहसीलों को मिलाकर छत्रपति शाहू जी महाराज नगर जिला बनाया गया था और इस जिले की अधिसूचना जारी कर अमेठी को लखनऊ मण्डल से जोड़ा गया था। इस बीच उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बसपा के बजाय सपा ने कब्जा जमा लिया था। मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद 13 नवम्बर 2003 को उनकी सरकार ने छ: माह पुराने छत्रपति शाहू जी महाराज नगर को समाप्त करने की घोषणा कर दिया था। मुलायम सरकार के जिला खारिज करने से खफा अमेठी के नेताओं ने जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया। इसके बाद संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट उमाशंकर पाण्डेय ने 8 दिसम्बर 2003 को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में जिला समाप्त करने के खिलाफ याचिका दायर किया । उमाशंकर पाण्डेय की याचिका पर  उच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2010 को उत्तर प्रदेश सरकार को 90 दिन के भीतर निर्णय देने का निर्देश दिया। इस दौरान बसपा सरकार ने पुन: उत्तर प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। बसपा मुखिया मायावती ने उच्च न्यायालय के निर्णय को आधार मानकर एक जुलाई 2010 को जिले के पुन: गठन का आदेश जारी कर दिया। लेकिन इस दौरान केन्द्र सरकार की जनगणना अधिसूचना जारी थी। इसी दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने अमेठी जिले की अधिसूचना जारी किया था। जिसे उच्च न्यायालय ने अवैध करार दिया है।

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