ग्वालियर। भिण्ड पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने अबैध हथियार पकडवाने वाले को एक हजार रुपए देने की घोषणा की है। जो व्यक्ति पुलिस को सूचना देगा उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा।
भिण्ड जिले में बढ रहे अबैध हथियारों के प्रचलन पर रोक लगाने के लिए यह कार्य योजना तैयार की गई है। उन्होंने जिले के सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए है कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में मुखबिरों की संख्या बढाकर अबैध हथियार रखने वालों व उनका उपयोग करने वालों की पहचान कर उन्हें गिरतार करें। उन्होंने भिण्ड जिले के उत्तरप्रदेश की सीमा से लगने वाले थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि वह सीमा पर चैकिंग अभियान चलाकर अबैध हथियारों पर सख्ती से रोक लगाए। उत्तरप्रदेश से बडी संख्या में अबैध हथियारों की जिले में तस्करी की जाती है।
स्पेशल टास्क फोर्स के अतिरिक्त महानिदेशक सुधीर शाही ने चंबल संभाग के पुलिस अधिकारियों की बैठक कर बीते दिनों कहा कि पुलिस अधिकारी व थाना प्रभारी अबैध हथियारों पर सख्त कार्यवाही करें। पूरे प्रदेश में भिण्ड जिले में सबसे अधिक अबैध हथियारों का उपयोग होता है यह चिंतनीय है। भिण्ड जिले के अटेर, गोरमी, ऊमरी और भिण्ड शहर में अबैध हथियारों का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। भिण्ड जिले में 5 वर्ष में 1117 अबैध हथियार पुलिस द्वारा पकडे गए है। वर्ष 2011 में 207, 2012 में 238, 2013 209, 2014 में 227, 2015 में 236 अबैध हथियार पकडे गए है।
च्ंाबल संभाग के भिण्ड जिले में हथियार रखना शान की बात माना जाता है यही कारण है कि यहां के लोग अपनी जमीन बेचकर बंदूक लेना पसंद करते है। भिण्ड जिले में 24 हजार के करीबन शस्त्र लायसेंसधारी है। और इससे कई गुना अबैध हथियारधारी है। पिछले 5 साल से शस्त्र लायसेंसों पर रोक लगने से लोग अबैध हथियार रखने के लिए मजबूर हैं।
प्ुलिस सूत्रों के मुताबिक अबैध हथियार उत्तरप्रदेश के मैनपुरी, इटावा, एटा, आगरा और बिहार के मुंगेर जिले से सबसे अधिक यहां आते है। जब हथियारों की मांग ज्यादा बढ जाती है तो बाहर से अबैध हथियार बनाने वाले कारीगर भिण्ड आकर यही अबैध हथियार बनाकर सप्लाई करते है। अबैध हथियार 2 हजार से लेकर 5 हजार रुपए में आसानी से मिल जाते है।

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