पचमढ़ी ! जबलपुर उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अतिक्रमणकारियों के नाम पचमढ़ी छावनी परिषद की मतदाता सूची से हटाने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने कहा है, कि जिन मकानों को छावनी परिषद द्वारा नंबर आवंटित नहीं किए हैं उनके मालिक व परिजनों के नाम मतदाता सूची से अविलंब हटा दिए जाएं। उच्च न्यायालय की न्यायाधीश वंदना कासरेकर ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए छावनी बोर्ड को निर्देशित किया। इस मामले में निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए। पचमढ़ी के याचिका कर्ता गोपालदास काबरा ने वर्ष 2008 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि छावनी बोर्ड की मतदाता सूची में जिन वोटर के नाम शामिल हैं उसके आगे उसके मकान क्रमांक का भी उल्लेख हो। ऐसा न होने से बड़े पैमाने पर अतिक्रमणकारी भी मतदाता बन गए हैं। इस याचिका पर 8 जुलाई 2010 को यह निर्णय हुआ कि छावनी परिषद के नियम अनुसार उसकी मतदाता सूची में मकान क्रमांक का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। इसका कड़ाई से पालन किया जाए। सितंबर-अक्टूबर 2014 में जो सूची न्यायालय को प्रस्तुत की गई उसमें फिर परिषद द्वारा अतिक्रमण कारियों के नाम जोड़े गए। इस पर फिर न्यायालय में बहस हुई। ताजा निर्णय में स्पष्ट किया गया है, कि अतिक्रमण कारियों के नाम किसी भी हालात में सूची में शामिल नहीं हो सकते। क्योंकि वर्तमान में वह काबिज ही नहीं है। याचिका कर्ता गोपालदास काबरा की ओर से अधिवक्ता विवेक रूसिया, सूर्यप्रताप राय और छावनी परिषद की ओर से इंदिरा नायर और जेपी पांडे ने तथा अतिक्रमण कारियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की थी।