भोपाल। मध्यप्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सरकार जिलों की रैंकिंग करेगी। यह रैंकिंग हर माह की जाएगी। इसके आधार पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों का रिपोर्ट कार्ड भी बनेगा।

इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिलों से भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के आधार पर रिपोर्ट मांगी थी पर सिर्फ छह जिलों ने अब तक जानकारी भेजी है। इसकी वजह से जिलों में भ्रष्टाचार की रैंकिंग अटक गई है। विभाग ने एक बार फिर कलेक्टरों को लिखकर न सिर्फ इस लापरवाही पर नाराजगी जताई है, बल्कि तत्काल रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक नवंबर को प्रदेश के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को संकल्प दिलाने के लिए जो बिंदु तय किए हैं, उनमें भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश भी एक है। इसको लेकर जिलों की रैंकिंग करने का फैसला भी किया गया है।

रैंकिंग जिले के अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों के आधार पर की जाएगी। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कलेक्टरों से चार अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी थी पर सिर्फ छह जिलों (दतिया, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, सिवनी, छतरपुर और भोपाल) को छोड़कर किसी ने जानकारी नहीं भेजी।

बताया जा रहा है कि कलेक्टरों की इस लापरवाही पर विभाग ने नाराजगी जताते हुए दो दिन पहले पत्र लिखकर तत्काल जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामलों के हिसाब से जिलों की रैंकिंग होगी। इसके आधार पर कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक का रिपोर्ट कार्ड भी बनेगा।

इन चार बिंदुओं पर होगी रैंकिंग

– सीएम हेल्पलाइन में दर्ज भ्रष्टाचार के प्रकरण।

– लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रारंभिक जांच प्रकरण।

– लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के छापे और ट्रेप के मामले।

– सिविल सर्विस रुल्स के तहत भ्रष्टाचार के मामलों में विभागीय जांच या अन्य प्रकरण।

कहां और किस वजह से होता है भ्रष्टाचार, खोजेगी सरकार

उधर, भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश बनाने के लिए सरकार उन वजहों की तलाश करेगी, जिनकी वजह से इसे बढ़ावा मिलता है। भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश के लिए मुख्यमंत्री द्वारा गठित ग्रुप की सोमवार को राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें विचार किया गया कि सबसे पहले उस जड़ को तलाशा जाना चाहिए, जहां से भ्रष्टाचार की शुरुआत होती है। ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां लोगों के काम अटकते हैं।

इसके लिए नियम-कायदों में कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि ज्यादा से ज्यादा सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाए। फाइलें न अटकें, इसके लिए ई-ऑफिस और फाइल मैनेजमेंट सिस्टम को सभी विभागों में तेजी के साथ लागू किया जाए। बैठक में सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य, मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव रजनीश वैश और प्रभांशु कमल के साथ मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल मौजूद थे।

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