भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर रोज हमला कर रहा है। इसी बीच अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके अरुण शौरी ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि अनिल अंबानी ने उन्हें यह कहते हुए चिट्ठी लिखी है कि वे राफेल विमान सौदे का मुद्दा न उठाएं।
बुधवार शाम दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर राफेल सौदे के बहाने अनिल अंबानी को भारी अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन राफेल विमानों को पूर्व सरकार ने 670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से खरीदने का समझौता किया था, उन्हीं विमानों को वर्तमान सरकार ने प्रति विमान 1000 करोड़ अधिक का मूल्य देते हुए खरीद का समझौता किया। यह बेहद गंभीर मामला है और यह देश की सुरक्षा के साथ किया गया गंभीर समझौता है।

शौरी ने कहा कि पहले यह सौदा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दिया जाना था, लेकिन बाद में अचानक बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए इस सौदे को अनिल अंबानी की कंपनी को दे दिया गया। जबकि इस तरह के समझौते में सबसे पहले यही देखा जाता है कि कंपनी विमान बनाने के मामले में कितना अनुभव रखती है। आश्चर्य तो इस बात का है कि अनिल अंबानी की कंपनी को विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है।

सरकार सेक्रेसी एक्ट की आड़ में अपने घोटाले को छिपाना चाहती है : प्रशांत भूषण
प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस कंपनी को सौदे के महज पांच महीने पहले ही बनाया गया था। इससे साफ जाहिर होता है कि कंपनी को बनाया ही सिर्फ इस सौदे के लिए गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार प्रति विमान एक हजार करोड़ रुपये की अधिक कीमत को इस तरह न्यायोचित ठहराने की कोशिश कर रही है कि राफेल विमानों की उन्नत तकनीकी का सौदा किया गया और विमानों में मिसाइल और अन्य उपकरण लगाये जाएंगे। भूषण के मुताबिक सरकार के इस बयान में ही घोटाले की बू आती है क्योंकि पहले करार में ही यह पूरी सुविधाएं मौजूद होने की बात कही गई थी।

उन्होंने कहा कि सरकार कीमतों के बारे में भी खुलकर कोई जानकारी नहीं देना चाहती और कहती है कि फ्रांस और भारत सरकार के बीच हुए सेक्रेसी एक्ट की वजह से वह विमानों की कीमतों का खुलासा नहीं कर सकती।

भूषण के मुताबिक यह सरासर बचकानी बात है क्योंकि सेक्रेसी का मामला तकनीकी पहलू से तो संबंधित हो सकता है लेकिन खरीद की कीमत बताने में किसी तरह का सेक्रेसी एक्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि इसकी आड़ में सरकार अपने घोटाले को छिपाना चाहती है। उन्होंने इसे सीधे गंभीर अपराध करार दिया।

पूर्व रक्षामंत्री यशवंत सिंहा ने कहा कि सरकार पर गंभीर आरोप हैं और अब सीएजी के द्वारा ही इस मामले की जांच की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि सीएजी इस मामले की जांच की रिपोर्ट तीन माह के अंदर जनता के सामने रखें जिससे मामले की हकीकत का पता चल सके।

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